Tuesday, June 15, 2010

ibadat

कितना अच्छा हो ...
गर ख़ुदा मुझे ,
बेपरवाह कर दे ...
अपनेआप से ,समाज से ,
हर उस अपने से ..
जिसे चाहना मेरी आदत में शुमार है ...
ऐ ख़ुदा तू मेरी ये आदत बदल दे ,
सिर्फ तुझे सोचना मेरी दीवानगी बना दे ...
करू सिर्फ तेरी परवाह ,
बाकि हर तरफ से मुझे  कर दे बेपरवाह ...

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