Tuesday, February 23, 2010

दीवानगी

तुम्हारी नज़र अब नरम हो गयी है ...
तुमसे नज़दीकिया अब ग़ज़ल बन गई है ...
मुलाकात तुमसे यूँ ही नहीं है ;
खुदा के रहम की दरियादिली है ...
चेहरा तुम्हारा सबसे जुदा है ,
खुदा की नायाब कारीगरी है ...
इश्क की तपिश सबसे अल्हदा है ,
खुदा की बनाई दीवानगी है ...
उलझी पहेली थी अपनी मोहब्बत ,
खुदा के करम से सुलझ सी गयी है ...
किये थे कायनात से सवाल ;
दी थी अश्कों की इबादत ;
तुम मिले ,संग चले ,मेरी खुशकिस्मती है ...
हमराज बने तुम ,हमखयाल भी ,
खुदा ने बरसा दी हमपे रौशनी है ....
Copyright- Abhilasha khare

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