Wednesday, June 16, 2010

inteha

बात जब दीदार -ए-यार की हो ,
बात जब इंतज़ार की हो ,
हालात कैसे भी हो ;मसरूफियते हो '
फिर भी फ़लक तक  पहुंची ;
प्यार की सरगोशियाँ ,अन्दर की जमी को एक छलकता पैमाना बना देती है........
बात जब बेशुमार प्यार की हो '
बात जब दिल -ए -बेक़रार की हो ,
हालात कैसे भी हो;बंदिशे हो ,
ज़हनी जुडाव दूरिओं को कम कर देता है,
दीवानगी में समय की कमी कहाँ रहती है ,
बात जब इकरार की हो ,
बात जब इज़हार की हो ,
हालात कैसे भी हो ,मुश्किलें हो ,
कभी नज़रें तो कभी मुस्कराहते,
गहराई प्यार की बयां कर जाती है ,
बात जब ऐतबार की हो ,
बात जब तकरार की हो ,
हालात कैसे भी हो ,बेचैनियाँ हो ,
खोल दो खुशनुमा यादों की पिटारी ....
रखो य़की खुद पे और ख़ुदा  पे ,
दुनियां मोहब्बत की महकती रहेगी .....

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