Tuesday, January 5, 2010

अंशु

वह गाँव के सम्पन्न घर का एक पांच साल का बच्चा था ...
देखने में भी अंशु खाते - पीते घर का लगता था ,
माँ का दुलार दादा - दादी का प्यार उसे मिलता था ,
एक दिन उसके शहर में रहने वाले चाचा - चाची आये ;
साथ में अपनी पांच साल की बेटी लाये ;बेटी अंग्रेजी बोलती थी ,
अंशु के माँ -बाप बहुत प्रभावित हुए ,
चाचा -चाची के साथ अंशु शहर आ गया ,
उसका एक अच्छे स्कूल में नाम लिख गया ,
छः महीने के बाद उसके मम्मी - पापा मिलने आये तो अंशु को पहचान नहीं पाए ,
उसे गाँव में जो पढना आता था वो भी सब वो भूल गया था ,
कई आवाजों पे न सुनने वाला अंशु एक आवाज़ में दौड़ा आता था ,
डरा-डरा सा अंशु अपने माँ-पिता को भी भूल गया था .......

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