Tuesday, January 5, 2010

फर्र्क

मैंने पूछा !
तुम्हारे भाई अब पढने नहीं आते,
वो बोली,
मैडम अब वो प्राइवेट स्कूल जाते हैं,
तो तुमने भी वहीँ नाम क्यों नहीं लिखाया?
ये सुन उसने अपना सर झुकाया ,
पापा बोले हैं की तुम लड़की हो,
बस किताब भर पढना सीख लो
तो काम चल जायेगा ...
तुम्हारे भाइयों को तो नौकरी करनी है॥
इसीलिए उन्हें ढंग से पढाई करनी है...
तुम तो जाओगी ब्याही ,
और पकानी है रोटी...
फिर क्यों करनी है तुम्हे पढाई में अपनी जिंदगी खोटी...


10 comments:

  1. अब तो ये बात नहीं है।
    फिर भी एक टीस है आपकी रचना में
    कविता को जिंदा रखने के लिए टीस ही तो आवश्‍यक है।

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  2. sach bayaan karti bata likhi apne...lekin ab sabko rpti ke sath rojgaar karne wali ladki chahiye aur uske liye padayee jaruri hai

    achchha likha hai

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  3. hummmmmm sach kaha aapne lakin ab samay badal raha hai...!!! lakin abhi bhi kuch jagah aisa mante hai.. ise nakara nahi ja sakta !!

    anyways plz visit my blog i hope u got something differ !!

    Jai Ho Mangalmay Ho

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  4. लद गए अब वो दिन, जब लड़कियों को यह सब सुनना पड़ता रहा होगा। अब तो लड़कियाँ हर क्षेत्र में पुरुषों से आगे है।
    एकदम ठेठ देहात-गाँवों में शायद अब भी ऐसा होता हो।

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  5. नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ द्वीपांतर परिवार आपका ब्लाग जगत में स्वागत करता है।
    pls visit......
    www.dweepanter.blogspot.com

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  6. हिंदी ब्लाग लेखन के लिये स्वागत और बधाई । अन्य ब्लागों को भी पढ़ें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देने का कष्ट करें

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  7. Aaj bhi ganvme aisa hee hota hai..

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  8. Bade shahron me kuchh badlaav hai,lekin anyatr chinta janak sthiti hai..

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  9. बेहतरीन लिखा है आपने.
    जारी रहें. शुभकामनाएं.
    [उल्टा तीर]

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