मैंने पूछा !
तुम्हारे भाई अब पढने नहीं आते,
वो बोली,
मैडम अब वो प्राइवेट स्कूल जाते हैं,
तो तुमने भी वहीँ नाम क्यों नहीं लिखाया?
ये सुन उसने अपना सर झुकाया ,
पापा बोले हैं की तुम लड़की हो,
बस किताब भर पढना सीख लो
तो काम चल जायेगा ...
तुम्हारे भाइयों को तो नौकरी करनी है॥
इसीलिए उन्हें ढंग से पढाई करनी है...
तुम तो जाओगी ब्याही ,
और पकानी है रोटी...
फिर क्यों करनी है तुम्हे पढाई में अपनी जिंदगी खोटी...
अब तो ये बात नहीं है।
ReplyDeleteफिर भी एक टीस है आपकी रचना में
कविता को जिंदा रखने के लिए टीस ही तो आवश्यक है।
sach bayaan karti bata likhi apne...lekin ab sabko rpti ke sath rojgaar karne wali ladki chahiye aur uske liye padayee jaruri hai
ReplyDeleteachchha likha hai
hummmmmm sach kaha aapne lakin ab samay badal raha hai...!!! lakin abhi bhi kuch jagah aisa mante hai.. ise nakara nahi ja sakta !!
ReplyDeleteanyways plz visit my blog i hope u got something differ !!
Jai Ho Mangalmay Ho
narayan narayan
ReplyDeleteलद गए अब वो दिन, जब लड़कियों को यह सब सुनना पड़ता रहा होगा। अब तो लड़कियाँ हर क्षेत्र में पुरुषों से आगे है।
ReplyDeleteएकदम ठेठ देहात-गाँवों में शायद अब भी ऐसा होता हो।
नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ द्वीपांतर परिवार आपका ब्लाग जगत में स्वागत करता है।
ReplyDeletepls visit......
www.dweepanter.blogspot.com
हिंदी ब्लाग लेखन के लिये स्वागत और बधाई । अन्य ब्लागों को भी पढ़ें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देने का कष्ट करें
ReplyDeleteAaj bhi ganvme aisa hee hota hai..
ReplyDeleteBade shahron me kuchh badlaav hai,lekin anyatr chinta janak sthiti hai..
ReplyDeleteबेहतरीन लिखा है आपने.
ReplyDeleteजारी रहें. शुभकामनाएं.
[उल्टा तीर]