एक तरफ बस्ता टांगे,दूसरी तरफ अपने छोटे भाई को भी टांग ले आती है ,
फिर एक कोना तलाशती अपने बस्ते से बैठने का बोरा निकालती,
चुपके से पहले अपने भाई को बिठाती ,रोना नहीं तुम ...
मैडम क्लास से बाहरकर देंगी ; समझाती है ,
पढाई से ज्यादा उसका ध्यान भाई को चुप करानेपर रहता है ...
धीरे से उसकी नाक साफ़ करती है फिर कॉपी पे कुछ लिखती है ,
स्कूल से जो खाना मिलता है वो खुद नहीं खाती ,
भाई को खिला देती है ...
उसके पीछे भाग - भाग कर उसको खूब हंसाती है ,
मैडम भाई ने टट्टी कर दी है जाऊं ,कहके कक्षा से बीच मैं बाहर निकलती है ,
उसके माँ - बाप ने इतने बच्चे पैदा कर दिए है जिन्हें पेट भर खाना देने के लिए;
दोनों को काम पर जाना पड़ता है ,
पांच भाई -बहनों मैं तीसरे नंबर की पूनम को अपना बचपन खोना पड़ता है ,
चार बजे छुट्टी के बाद पूनम सब्जी काटती , आत्ता सानती,झाड़ू पोंछा भी करती है ,
उसके माँ - बाप से कहकर देखा है की भाई को साथ मत भेजो पूनम पढ़ नहीं पाती है ,
जवाब में उन्होंने कुछ नहीं कहा बस पूनम अब स्कूल नहीं आती है ,
वह अब सिर्फ छोटी माँ है, जिसे अपने से ज्यादा चिंता अपने भाई - बहनों की करनी पड़ती है ,
एक बार फिर मैंने पूनम के पापा को बुलाया ;समझाया ,
उसके छोटे भाई -बहनों का नाम आंगनबाड़ी में लिखवाया ;
ताकि ये छोटी माँ अनपढ़ न रह सके ...
और भविष्य में अपने होने वाले बच्चों के लिए ,
यह 'छोटी माँ 'एक 'अच्छी माँ' बन सके .
hmmmmm..ek aur sachhaai dikhayee apne..noida me aisa aksar hota hai bahar se aakar log majdoori karte hai aur unke bache bhi bachapan bhul kar jaldi bade ho jate hai
ReplyDeletebhabhi, this is manish bhandari.. aise bacho kee kya madad kar sakte hai hum ???
ReplyDeleteforgot to add that it has been written really well... dil choo gai... ab baaki padne kee himmat nahi ho rahi.. padunga lekin
ReplyDeletethanks manish! tumne aise bachho ke liye socha, likhna sarthak ho gaya....
ReplyDeleteSports Fan - thank you..
sakhi with feelings bahut-bahut dhanyawad,aapke saath judna achha laga..