Friday, February 12, 2010

रफ़्तार

रफ़्तार हमारी धीमी है ,पर ख़यालों में चीनी है ....
गिराना ,गिरना नहीं मंज़ूर ,
थामने,संभलने में क्या कसूर ,
अधिकार जताना दूर की बात ,
एक भी चीज नहीं छीनी है ....
व्यस्तता का है ताना -बाना ;
नज़र घड़ी बन जाती है,
मनचाहा कुछ हो नहीं पाता;
बस चक्की मन की चलती है ...
सबको खुश रखने की कोशिश ,
मन पे बोझ बढाती है ,
पहचान बनी न बनी ; तेजी से उम्र गुजरती है ...
है चलायमान वृत्त ;आगत की दस्तक है ,
पुनरावृति कर दो कम ;
सहेजो ज्यादा ;खोओ कम ,
उपलब्धियां बढती जाती है ...
लगते सब इंसा अलग से ,
किन्तु संघर्ष सबके एक से ,
प्यार है ,परिवार है ,सबकी एक सी कहानी है ॥
धुंदली;अस्पष्ट लकीरों में ,
एक ही सच्ची तस्वीर साथ होनी है ,
उथले शब्द रवानगी पक्की ,
चादर सबकी झीनी है ......

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