Monday, December 27, 2010

maa

"माँ" इसे मैंने नहीं चुना ,
  ये तो वो है जो मैंने तेरे भीतर सुना ,
मै तो हिस्सा हू तेरा,  तेरे लहू से बुना ,
नहीं कोई है  ऐसा कर्म जिससे चुक जाये 
ये कर्ज घना ,
प्रथमतः "अम्मा" कहके,  
धरती पर मेरा वो रुदन नहीं ,
मैंने तो तेरे नाम का है गुणगान गुना ......        

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